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प्रेरणादायक कहानियां

अब तो मरे हुए बुड्ढे के लड़कों ने अपना तांगा न्यायधीश की अदालत की ओर मोड़ लिया और बड़बड़ाते हुए झोपड़ी वाले को गालियां देते रहे |

न्यायधीश की अदालत में पहुंचते ही झोपड़ी वाले पर सेठ वाला मुकदमा शुरू हो गया | तभी बुड्ढे के लड़कों ने अपनी पूरी कहानी कह सुनाई |

यह सुनकर न्यायधीश ने झोपड़ी वाले को गुस्से से घुरा | न्यायधीश के घूरने से वह डर से कांपने लगा और अंगोछे में बंधे कांच को टटोल कर देखने लगा |

अंगोछे में बंधी वस्तु को टटोलने का मतलब न्यायधीश अच्छी प्रकार जानता था | वह समझा कि वह अपराधी अपने अंगोछे में बंधी किसी वस्तु को रिश्वत के रूप में देने का प्रयास कर रहा है |

यह देखकर न्यायधीश कुछ देर मुकदमे को ध्यान से सुनने नाटक करता रहा | फिर उसने अपना फैसला सुनाया – ” घोड़े वाले सेठ वास्तव में घोड़े की पूंछ उखड़ने में झोपड़ी वाले का हाथ मालूम होता है | तुम ऐसा करो जब तक तुम्हारे घोड़े की पूंछ पहले की तरह नहीं उग आती, तब तक तुम इस घोड़े को झोपड़ी वाले को दे दो |”

न्यायाधीश का फैसला सुन सेठ ने अपना माथा पीट लिया | झोपड़ी वाले ने अपने पक्ष में फैसला सुना तो उसने सोचा कि कांच के टुकड़े से डरकर न्यायधीश ने उस के पक्ष में निर्णय सुनाया है | अब तो वह उस टुकड़े को और ज्यादा टटोलने लगा |

अब न्यायाधीश ने बुड्ढे के लड़कों से कहा – ” भाइयों ! पिताजी के मरने का मुझे दु:ख है, वह व्यक्ति जिसने आपके पिता की हत्या की है | आपके तांगे में बैठकर उसी पहाड़ी के नीचे से होकर गुजरने और आप चारों भाई एक-एक करके पहाड़ी से लुढ़क कर ऊपर गिरे तो क्या यह व्यक्ति बच पाएगा नहीं, कभी नहीं | इतना कहकर न्यायधीश ने अदालत समाप्त कर दी |

न्यायधीश के इंसाफ से झोपड़ी वाला बहुत खुश हुआ; किंतु सेठ और बुड्ढे के लड़कों का मुंह उतर आया |

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